आजकल सभी सरकारी सेवायें लोगों को "ई-गवर्नेंस" के माध्यम से प्राप्त हो रही हैं, जिसमें पेनकार्ड, वोटरकार्ड, आधार कार्ड के अलावा कई प्रकार के ऐसे प्रमाण पञ भी हैं जिसके के लिये आपको अपने जिले के सरकारी दफ्तरों तक जाना पडता था, जैसे आय-जाति-निवास अादि प्रमाण पञ आदि। पहले इन प्रमाण पञों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर होते थे, लेकिन अब यह काम डिजिटल सिग्नेचर द्वारा किया जा रहा है। तो क्या है ये डिजिटल सिग्नेचर आईये जानते हैं -
क्या है प्रक्रिया
डिजिटल सिग्नेचर के बारे में जानने के पहले थोडा सरकारी तंञ समझ लेते हैं, पहले के सर्टिफिकेट्स मैनुअल तरीके से तैयार किये जाते थे, जिसमें आवेदनकर्ता, अावेदन भरता था और उसमें जरूरी अटैचमेंट्स लगता था अौर उसे कार्यालय में जमा करता था, फिर उसके अावेदन को जॉच के लिये जॉच अधिकारी या कर्मचारी के पास भ्ोजा जाता था, जॉच के स्तर इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपने किस प्रकार के प्रमाण पञ के लिये आवेदन किया है। जॉच होने के उपरान्त वह सर्टिफिकेट्स कार्यालय में वापस आता है और सक्षम अधिकारी द्वारा उसे हस्ताक्षर कर आवेदनकर्ता काे प्राप्त कराया जाता है।
लेकिन अब ऐसा नहीं है अब समय है "ई-गवर्नेंस" का इस माध्यम से यह सारी प्रक्रिया बहुत ही सरल हो गयी है, इसके माध्यम से सभी प्रकार के सर्टिफिकेट्स एक इंटरनेट पोर्टल के माध्यम से तैयार किये जाते हैं, अगर देखा जाये तो केवल आवेदन अौर तैयार प्रमाण पञ को छोडकर सारी प्रक्रिया पूरी तरह से पेपरलैस है। यह पूरी तरह से सर्टिफिकेट्स का डिजिटल रूप होता है। इसमें सारी जॉच प्रक्रिया इंटरनेट पोर्टल पर ही होती है। इसमें सभी स्तर की जॉच प्रक्रिया में अधिकारी अौर कर्मचारियों द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग किया जाता है। इन सभी प्रमाण पञों का सत्यापन भी पोर्टल के माध्यम से बडी आसानी से किया जा सकता है।
डिजिटल सिग्नेचर क्या होते हैं?
डिजिटल हस्ताक्षर या सिग्नेचर एक प्रकार का कंप्यूटर कोड होता है, इसका प्रयोग केवल अधिक्रत व्यक्ति ही कर सकता है, जिसे उपयोग करने के लिये या तो यूजर आईडी और पासवर्ड की अावश्यकता होती है, इसके अलावा कहीं-कहीं डोंगल का भी प्रयोग किया जाता है जो एक प्रकार की पेनड्राइव जैसी डिवाइस होती है, जैसे हमने आपको पहले पेनड्राइव को बनाइये अपने कम्प्यूटर का पासवर्ड बनाना बताया था। यह उसी प्रकार की व्यवस्था है, यानि डिजिटल सिग्नेचर केवल वही व्यक्ति कर पायेगा, जिसकेे पास यह दोनों चीजें हों। जैसे कागज के सर्टिफिकेट्स पर मैनुअली साइन किये जाते थे, वैसे ही इलैक्ट्रोनिक सर्टिफिकेट्स पर डिजिटल सिग्नेचर किये जाते हैं। यह कानूनी तौर पर मान्य होते हैं।